“विचारों की विच्छेदन: महाराष्ट्र स्पेशल पब्लिक सेक्योरिटी विधेयक की चुनौतियाँ”
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने Special Public Security Bill, 2024 प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य “शहरी नक्सलवाद” से निपटना बताया गया। हालांकि, यह विधेयक बुद्धिजीवियों, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए एक खतरे के रूप में सामने आया है। The Hindu अख़बार ने इसे “विचारों को कुचलने वाला विधेयक” बताते हुए, इसके व्यापक और अस्पष्ट प्रावधानों पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
वर्ष 2024–25 में महाराष्ट्र सरकार ने धाराएं पेश कीं जो “अवैध गतिविधि”, “शहरी नक्सलवाद”, “प्रशासन में विघ्न” जैसी धारणाओं को दोषमुक्त करती हैं।
विधेयक में गिरफ्तारी बिना वारंट, गैर-बेलिबल धाराएँ, संपत्ति जब्त करने का प्रावधान और संगठन को अवैध घोषित करने का अधिकार शामिल है |
आलोचना: विधेयक UAPA जैसे केंद्र-सरकारी विधि ढाँचे में डुप्लीकेट, गैर-आवश्यक और लोकतांत्रिक बहस एवं असहमति को कुचलने वाला करार दिया गया
अनुच्छेद 19(1)(a): अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद 19(1)(c): संघ बनाने का अधिकार।
अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।
विधेयक के अस्पष्ट प्रावधान इन गांभीरिक स्वतंत्रताओं का उल्लंघन करते देखे गए हैं ।
“अवैध गतिविधि” की अस्पष्टता – यह शांतिपूर्ण विरोध, लेखन, चित्रकला आदि को भी दंडनीय बना सकती है
शब्द (Hindi) | अर्थ (English) | Definition (Hindi) |
---|---|---|
अस्पष्ट (Aaspaṣṭ) | Ambiguous | स्पष्ट न होने वाला |
गैर-बेलिबल (Gair-bailable) | Non‑bailable | जमानत असंभव |
जब्ती (Jabti) | Seizure | संपत्ति वसूलने की प्रक्रिया |
शहरी नक्सल (Shahari Naxal) | Urban Naxalism | शहरी क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियाँ |
बहुलता (Bahulata) | Pluralism | विभिन्न विचारों की सह-अस्तित्व व्यवस्था |
महाराष्ट्र स्पेशल पब्लिक सेक्योरिटी विधेयक में किस अधिकार को विशेष रूप से प्रभावित करने की शिकायत की जा रही है?
A) अनुच्छेद 32
B) अनुच्छेद 19(1)(a) ✔️
C) अनुच्छेद 370
D) अनुच्छेद 25
विधेयक के तहत “गैर-बेलिबल” गिरफ्तारी का अर्थ है:
A) रिहाई पर इल्ज़ाम
B) गिरफ्तारी बिना जमानत ✖️
C) न्यायाधिकरण के आदेश से स्थापना
D) पुलिस की मौखिक चेतावनी
विधेयक में ‘संपत्ति जब्त’ का प्रावधान किसके अधिकार को प्रभावित करता है?
A) धार्मिक स्वतंत्रता
B) व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संपत्ति अधिकार ✔️
C) सामाजिक आरक्षण
D) राज्य की सुरक्षा
न्यायालयों के अनुसार, कड़ी आपराधिक धाराओं की व्याख्या:
A) लचीली होनी चाहिए
B) सख्ती से की जानी चाहिए ✔️
C) राज्य सरकार पर छोड़ी जाय
D) केवल केंद्र द्वारा किया जाना चाहिए
“शहरी नक्सल” शब्द का चयन विधेयक में उपयोग विरोधाभासी क्यों माना गया है?
A) यह समावेशी है
B) यह केवल सरकारी एजेंसी को क्रिमिनल करता है
C) यह शांतिपूर्ण विचारों को अपराध घोषित कर सकता है ✔️
D) यह दलित‑जनवाद का समर्थन करता है
The Hindu का यह संपादकीय Maharashtra Special Public Security Bill को एक लोकतांत्रिक आपातकाल बताता है — जो सिर्फ वास्तविक हिंसक तत्वों को निशाना न बनाकर, शांति पूर्ण विचारों को भी अपराध घोषित कर सकता है। संविधान के मौलिक अधिकारों—विशेषकर अभिव्यक्ति व जीवन की स्वतंत्रता—पर यह विधेयक स्पष्ट रूप से प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
प्रश्नपत्र में अनुच्छेद 19 के अधिकार तथा उनकी सीमाओं से संबंधित सवालों में यह विश्लेषण लाभकारी।
‘विचारों की स्वतंत्रता’ और ‘लोकतंत्र में बहस की जगह’ जैसे विषय पर निबंध और ग्रुप डिस्कशन हेतु बेहतरीन स्टार्टिंग पॉइंट।
संविधानिक न्यायशास्त्र (Doctrine of Proportionality) की समझ बनाने के लिए उत्कृष्ट उदाहरण।
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